जम्मू के रूपनगर क्षेत्र में स्थित यह शंभू मंदिर एक प्रमुख शिव मंदिर है जिसे लोकप्रिय माना जाता है। यह मंदिर इसलिए विशेष है क्योंकि यहां भगवान शिव की एक प्राकृतिक स्वयंभू मूर्ति या शिवलिंग मौजूद है। मंदिर की वास्तुकला और आकर्षण भी लोगों को आकर्षित करते हैं।
मंदिर परिसर में कई पुराने और प्राकृतिक पेड़ हैं जैसे अक्क, गर्ना, बोढ़, आम, क्रैंगल और बिल्वा के पेड़। मंदिर में स्वयंभू शिव लिंग के अलावा, बैठे नंदी की मूर्ति और अन्य देवी-देवताओं की छोटी-छोटी मूर्तियां भी हैं। पुराने ग्रंथों के अनुसार, जब एक गुज्जर ने देखा कि उसकी भैंस एक विशिष्ट पत्थर पर दूध छोड़ रही है, तो उसने उस पत्थर को तोड़ने की कोशिश की।
इससे पत्थर से खून बहने लगा और गुज्जर डर गया। इसके बाद, उसका घर भी जल गया और उसका पूरा परिवार बुरी तरह प्रभावित हुआ। जब महाराजा प्रताप सिंह ने इस कहानी सुनी, तो उन्होंने इस स्वयंभू शिव लिंग को बड़े मंदिर में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। महाराजा के इस कदम से यह मंदिर अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को और भी बढ़ा गया।
शंभू मंदिर की वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ इसका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व लोगों को आकर्षित करता है। यह मंदिर न केवल जम्मू और कश्मीर बल्कि पूरे देश में एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है। कई श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव के दर्शन करने और उनकी पूजा करने के लिए आते हैं। इस तरह, शंभू मंदिर जम्मू और कश्मीर की एक अमूल्य धरोहर है जो अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक महत्व के कारण लोगों को आकर्षित करता है।
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